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जून, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

म्यूल खाते -साइबर ठगों के हाथ में बड़ा हथियार

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  डिजिटल पेमेंट और ऑनलाइन बैंकिंग आज वे सुविधाएं हैं जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गई हैं.इन सुविधाओं ने घर बैठे ही हमारे कार्य पूर्ण कराने में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है, किन्तु ये भी याद रखिये कि ये सुविधाएं ही हैं जिन्होंने साइबर ठगों को हमारे घर के साथ साथ हमारे बैंक अकाउंट तक में अनधिकृत घुसपैठ का अधिकार दे दिया है.       कोई भी साइबर ठग सीधे तौर पर अपने नाम पर हमारे अकाउंट से पैसे नहीं लेता है बल्कि वह दूसरों के अकाउंट का इस्तेमाल करता है. ऐसे अकाउंट को म्यूल खाता कहा जाता है. यह वह बैंक अकाउंट होते हैं जो धोखे या लालच के जरिए इस्तेमाल में लिए जाते हैं ताकि  जांच एजेंसी असली अपराधी तक न पहुंच पाएं. दरअसल म्यूल खाते वह बैंक अकाउंट होते हैं जिनका इस्तेमाल साइबर अपराधी धोखाधड़ी से हासिल पैसों को ट्रांसफर करने के लिए करते हैं. यह अकाउंट आम लोगों के ही होते हैं, जिन्हें साइबर ठग लालच देकर या धोखे से अपने इस्तेमाल में लेते हैं, और म्यूल खाते का इस्तेमाल कर साइबर ठग जो पैसे हमसे हड़पता है उसे बारी बारी से कई म्यूल खाते में ट्रांसफर करता है जिससे ...

I4C क्या है

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भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) की स्थापना गृह मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में भारत में साइबर सुरक्षा के लिए नोडल सरकारी एजेंसी क़े रूप में की गई थी, जिसका उद्देश्य साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) को एक ढांचा और पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करना है। ➡️ " I4C "  I4C का फुल फॉर्म है भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cybercrime Coordination Centre). यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय की एक पहल है, जिसका उद्देश्य देश में साइबर अपराधों से निपटने के लिए एक समन्वित और व्यापक प्रणाली प्रदान करना है. भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) को 10 जनवरी 2020 को औपचारिक रूप से शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य साइबर अपराधों को रोकने, पता लगाने, जांच करने और मुकदमा चलाने के लिए एक प्रभावी ढांचा और पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है. यह केंद्र विभिन्न घटकों के माध्यम से काम करता है,  I4C भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) को संदर्भित करती है,यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय की एक पहल है। I4C को कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अन्य हितधारकों...

साइबर अपराध मे प्रतिबिम्ब एप्प

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साइबर अपराधों की एक बाढ़ सी आई हुई है.भारत में हर दिन औसतन 7,000 साइबर अपराध की शिकायतें दर्ज की जाती हैं। यह संख्या 2021 और 2023 के बीच 113.7% और 2022 से 2023 तक 60.9% की वृद्धि दर्शाती है। इसलिए सरकार और पुलिस प्रशासन लगातार साइबर अपराधों को रोकने और उनकी दहशत से आम जनजीवन को बचाने के लिए प्रयासरत है. ऐसे में "प्रतिबिम्ब एप्प" अँधेरे में रोशनी की किरण बनकर उभरा है. ➡️ क्या है प्रतिबिम्ब-  प्रतिबिंब एक मोबाइल ऐप है जिसे विशेष रूप से साइबर अपराधों से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह ऐप, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) और संयुक्त साइबर अपराध समन्वय दल-जामताड़ा द्वारा विकसित किया गया है, जिसका उपयोग पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​साइबर अपराधियों को ट्रैक करने और पकड़ने के लिए करती हैं। प्रतिबिंब" एक जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) आधारित सॉफ्टवेयर है जिसे गृह मंत्रालय (एमएचए) के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) द्वारा साइबर अपराधों पर नज़र रखने के लिए विकसित किया गया है। यह भारत भर में साइबर अपराधों में इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबरों के स्था...

साइबर क़ानून भारत में

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    आधुनिक अपराधशास्त्र के जनक सेसरे लोम्ब्रोसो एक इतालवी डॉक्टर थे, उनका मानना ​​था कि अपराधी पैदा होते हैं, बनाए नहीं जाते। लोम्ब्रोसो के अनुसार, जो लोग अपराध करते हैं, उन्हें वे गुण विरासत में मिलते हैं जो उन्हें अपराधी बनाते हैं। ➡️ साइबर अपराध के प्रकार- साइबर अपराध कई प्रकार के होते हैं, जिनमें हैकिंग, फ़िशिंग, मैलवेयर, रैनसमवेयर, और साइबर स्टॉकिंग शामिल हैं। इन अपराधों में, हैकर्स अनधिकृत रूप से कंप्यूटर सिस्टम और नेटवर्क तक पहुंच प्राप्त करने के लिए अपनी तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं, जबकि फिशिंग में, वे झूठी ईमेल या वेबसाइट के माध्यम से लोगों से व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करते हैं। मैलवेयर और रैनसमवेयर सॉफ्टवेयर को कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचाने या बाधित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, और साइबर स्टॉकिंग में ऑनलाइन उत्पीड़न और धमकाने की गतिविधियां शामिल हैं.  ➡️ साइबर अपराध के कुछ अन्य प्रकार- 🌑 पहचान की चोरी: यह एक ऐसा अपराध है जिसमें कोई व्यक्ति आपकी व्यक्तिगत जानकारी जैसे कि नाम, पता, सोशल सिक्योरिटी नंबर या क्रेडिट कार्ड नंबर का उपयोग करता है.  🌑 इंट...

कैसे रोकें अमिताभ बच्चन कॉलर ट्यून

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( आओ रोकें अमिताभ बच्चन 🇨‌🇦‌🇱‌🇱‌🇪‌🇷‌ 🇹‌🇺‌🇳‌🇪‌ ) देश में तेजी बढ़ते जा रहे साइबर फ्रॉड के मामलों को देखते हुए भारत सरकार ने आम जनता में जागरूकता फैलाने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को कॉल डायल से पहले साइबर क्राइम अवेयरनेस कॉलर ट्यून (Caller Tune) जोड़ने का निर्देश दिया है। इस कॉलर ट्यून में अमिताभ बच्चन की आवाज में जनता को अनजान कॉल्स, लिंक या ओटीपी शेयर करने से बचने की सलाह दी जाती है। साइबर क्राइम का शिकार होने पर हेल्पलाइन नम्बर 1930 डायल करने की सलाह दी जाती है. जिसे बार-बार सुनने से लगभग लोग परेशान हो चुके हैं, खासकर तब जब उन्हें इमरजेंसी कॉल करना होता है और ये कॉलर ट्यून लगभग 30-40 सेकंड अच्छी तरह से बर्बाद कर देती है.      ऐसे में अच्छी खबर यह है कि आप इस कॉलर ट्यून को एक बटन दबाकर आसानी से बंद कर सकते हैं। ➡️ कैसे रोकें अमिताभ बच्चन कॉलर ट्यून- > राजस्थान पुलिस की सब-इंस्पेक्टर आरती सिंह तंवर द्वारा अपने इंस्टाग्राम पर इस ट्रिक को शेयर किया है। जिसका तरीका बेहद आसान है, जिसे आप निम्न बिंदु फॉलो कर आजमा सकते हैं- 🌑 जब आप किसी को कॉल करें और साइबर क्राइम अव...

साइबर ठग आपके आसपास -अलर्ट

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➡️ साइबर क्राइम के प्रकार- साइबर क्राइम आज कई रूपों में आम जनता को परेशान कर रहा है. इसके मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं-  साइबर क्राइम के 5 मुख्य प्रकार हैं: हैकिंग, फ़िशिंग, पहचान की चोरी, रैनसमवेयर और मैलवेयर हमले.  1️⃣. हैकिंग : यह किसी कंप्यूटर सिस्टम या नेटवर्क में अनधिकृत पहुंच प्राप्त करने की प्रक्रिया है.  2️⃣. फ़िशिंग : यह एक प्रकार का साइबर अपराध है जिसमें अपराधियों द्वारा ईमेल, टेक्स्ट संदेश या अन्य संचार के माध्यम से लोगों को धोखा देकर उनकी व्यक्तिगत जानकारी जैसे यूजरनेम, पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर आदि प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है.  3️⃣. पहचान की चोरी: इसमें किसी व्यक्ति की पहचान (जैसे नाम, पता, जन्म तिथि, आदि) का उपयोग करके धोखाधड़ी या अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देना शामिल है.  4️⃣. रैनसमवेयर : यह एक प्रकार का मैलवेयर है जो कंप्यूटर सिस्टम या डेटा को लॉक कर देता है और फिर इसे अनलॉक करने के लिए फिरौती की मांग करता है.  5️⃣. मैलवेयर : यह एक प्रकार का सॉफ्टवेयर है जिसे कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचाने या उसमें अनधिकृत पहुंच प्राप्त क...

साइबर क्राइम आपके करीब

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अपराध को कई प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे हिंसक अपराध, संपत्ति अपराध, व्हाइट-कॉलर अपराध, संगठित अपराध और अब नए अपराध साइबर अपराध,  प्रत्येक श्रेणी के भीतर, कई विशिष्ट अपराध भी मौजूद हैं.  यहाँ अपराध के कुछ प्रमुख प्रकारों का विस्तार से विवरण दिया गया है: ➡️ हिंसक अपराध: इसमें हत्या, यौन अपराध, डकैती, गंभीर हमला शामिल हैं.  ➡️ संपत्ति अपराध: इसमें सेंधमारी, मोटर वाहन चोरी, आगजनी शामिल हैं.  ➡️ व्हाइट-कॉलर अपराध: इसमें कॉर्पोरेट धोखाधड़ी, कर चोरी, कर्मचारी चोरी शामिल हैं.  ➡️ संगठित अपराध: यह आपराधिक संगठनों की अवैध गतिविधियों से जुड़ा है, जैसे कि अवैध सामान और सेवाओं की आपूर्ति.  ➡️ साइबर अपराध:     इसमें फिशिंग, हैकिंग, साइबर बुलिंग, डिजिटल अरेस्ट आदि अपराध शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, अपराध को संज्ञेय अपराध (जहाँ आप बिना वारंट के गिरफ्तार किए जा सकते हैं), असंज्ञेय अपराध (जहाँ गिरफ्तारी के लिए वारंट की आवश्यकता होती है), जमानती अपराध (जहाँ जमानत एक अधिकार है), और गैर-जमानती अपराध (जहाँ जमानत का अधिकार नहीं है) में भी वर्गीकृत किया जा स...

साइबर क्राइम का भयानक रूप डिजिटल अरेस्ट

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आज पूरा विश्व साइबर अपराध की जकड़ में है. साइबर अपराधियों ने न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को गहरा धक्का पहुँचाया है बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ साथ पूरे यूरोप और एशिया को हिलाकर रख दिया है. आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स ( AI ) से जुटाई गई जानकारी के अनुसार - "साइबर अपराध का आधुनिक इतिहास तब शुरू हुआ जब एलन शेर ने एमआईटी कंप्यूटर नेटवर्क के खिलाफ साइबर हमला किया, पंच कार्ड के माध्यम से उनके डेटाबेस से पासवर्ड चुराए । पहला कंप्यूटर वायरस बीबीएन टेक्नोलॉजीज में बॉब थॉमस द्वारा अनुसंधान उद्देश्यों के लिए बनाया गया था।" साइबर अपराध कंप्यूटर, इंटरनेट या नेटवर्क उपकरणों से जुड़ी अवैध गतिविधि होती है। साइबर अपराधी पहचान की चोरी करते हैं, फ़िशिंग घोटाले शुरू करते हैं, मैलवेयर फैलाते हैं और अन्य डिजिटल हमले करते हैं। ➡️ भारत में साइबर अपराध:-  भारत में साइबर अपराधों के आंकड़े चिंता का विषय हैं। 2022 में, 65,000 से अधिक साइबर अपराध मामले दर्ज किए गए थे, और 2023 में यह संख्या और बढ़ गई। वित्तीय नुकसान भी तेजी से बढ़ा है, जिसमें 2022 में 91.14 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 1,935.51 करोड़ र...

साइबर क्राइम -डिजिटल अरेस्ट -अध्ययन एक शुरुआत

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 जिस तरह से रोज कानूनी ढांचे में सुधार कर अपराध पर नकेल कसने के कार्य किये जा रहे हैं उसी तरह से अपराध की दुनिया भी नित नये कीर्तिमान रच रही है. आज हमारी रोजमर्रा की जिंदगी डिजिटल होती जा रही है. मोबाइल फोन का उपयोग अब बाजार में आम बात हो गई है, अब लगभग हर पेमेंट डिजिटल माध्यम से किया जा रहा है. गूगल पे, फोन पे डिजिटल भुगतान के बड़े ऐप्प के रूप में सर्व स्वीकार्य माध्यम बन चुके हैं और इस डिजिटल भुगतान का ही परिणाम है कि आज अपराध की दुनिया भी डिजिटल माध्यम अपना रही है. पहले जिस तरह अपराधी राहजनी करते थे, रातों रात सड़कों के किनारे बैठकर आती जाती गाड़ियों पर हमले कर लूटपाट करते थे, घरों में घुसकर डकैती और लूट करते थे, अब पीड़ित से रूबरू होने के ऐसे तौर तरीके अपराधी छोड़ते जा रहे हैं, अब अपराधी सब तरह के अपराध कर रहे हैं, लोगों को डरा धमका रहे हैं किन्तु उनके सामने ना आकर बल्कि डिजिटल स्वरूप को अपनाकर. अब अपराध की दुनिया हाई फाई डिजिटल होती जा रही है और इतनी ज्यादा कि क़ानून व्यवस्था को छिन्न भिन्न कर आज ये पढ़े लिखे उच्च शिक्षित अपराधी क़ानून के रखवालों से दो हाथ आगे ही जा रहे हैं.   ...