साइबर क्राइम -डिजिटल अरेस्ट -अध्ययन एक शुरुआत
जिस तरह से रोज कानूनी ढांचे में सुधार कर अपराध पर नकेल कसने के कार्य किये जा रहे हैं उसी तरह से अपराध की दुनिया भी नित नये कीर्तिमान रच रही है. आज हमारी रोजमर्रा की जिंदगी डिजिटल होती जा रही है. मोबाइल फोन का उपयोग अब बाजार में आम बात हो गई है, अब लगभग हर पेमेंट डिजिटल माध्यम से किया जा रहा है. गूगल पे, फोन पे डिजिटल भुगतान के बड़े ऐप्प के रूप में सर्व स्वीकार्य माध्यम बन चुके हैं और इस डिजिटल भुगतान का ही परिणाम है कि आज अपराध की दुनिया भी डिजिटल माध्यम अपना रही है. पहले जिस तरह अपराधी राहजनी करते थे, रातों रात सड़कों के किनारे बैठकर आती जाती गाड़ियों पर हमले कर लूटपाट करते थे, घरों में घुसकर डकैती और लूट करते थे, अब पीड़ित से रूबरू होने के ऐसे तौर तरीके अपराधी छोड़ते जा रहे हैं, अब अपराधी सब तरह के अपराध कर रहे हैं, लोगों को डरा धमका रहे हैं किन्तु उनके सामने ना आकर बल्कि डिजिटल स्वरूप को अपनाकर. अब अपराध की दुनिया हाई फाई डिजिटल होती जा रही है और इतनी ज्यादा कि क़ानून व्यवस्था को छिन्न भिन्न कर आज ये पढ़े लिखे उच्च शिक्षित अपराधी क़ानून के रखवालों से दो हाथ आगे ही जा रहे हैं.
इसी कड़ी में अपराध की दुनिया में नया अपराध प्रवेश कर चुका है साइबर अपराध के रूप में. साइबर अपराध मे अपराधी आम जनता के बैंक खातों में खुद आम जनता की अनदेखी, अनजानी गलतियों से सेंध लगा रहे हैं और उनके पूरे के पूरे बैंक खाते चुटकियों में खाली कर रहे हैं. इसी अपराध का एक भयावह रूप डिजिटल अरेस्ट है जिसे लेकर आज आम जनमानस दहशत में है. काफ़ी हद तक दहशत और खौफ और कुछ हद तक आदमी का खुद का लालच, जिसमें अपराधी के मकड़जाल में आदमी इस कदर फंसता है कि जब उसका डर खत्म होता है या उसकी आँख खुलती है तब तक वह लुट चुका होता है.
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धन्यवाद 🙏🙏
द्वारा
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली )
सराहनीय ब्लॉग बनाया है इस साइबर ठगी के युग में, धन्यवाद 🙏🙏
जवाब देंहटाएंआभार 🙏🙏
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