साइबर ठग आपके आसपास -अलर्ट
➡️ साइबर क्राइम के प्रकार-
साइबर क्राइम आज कई रूपों में आम जनता को परेशान कर रहा है. इसके मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं-
साइबर क्राइम के 5 मुख्य प्रकार हैं: हैकिंग, फ़िशिंग, पहचान की चोरी, रैनसमवेयर और मैलवेयर हमले.
1️⃣. हैकिंग:
यह किसी कंप्यूटर सिस्टम या नेटवर्क में अनधिकृत पहुंच प्राप्त करने की प्रक्रिया है.
2️⃣. फ़िशिंग:
यह एक प्रकार का साइबर अपराध है जिसमें अपराधियों द्वारा ईमेल, टेक्स्ट संदेश या अन्य संचार के माध्यम से लोगों को धोखा देकर उनकी व्यक्तिगत जानकारी जैसे यूजरनेम, पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर आदि प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है.
3️⃣. पहचान की चोरी:
इसमें किसी व्यक्ति की पहचान (जैसे नाम, पता, जन्म तिथि, आदि) का उपयोग करके धोखाधड़ी या अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देना शामिल है.
4️⃣. रैनसमवेयर:
यह एक प्रकार का मैलवेयर है जो कंप्यूटर सिस्टम या डेटा को लॉक कर देता है और फिर इसे अनलॉक करने के लिए फिरौती की मांग करता है.
5️⃣. मैलवेयर:
यह एक प्रकार का सॉफ्टवेयर है जिसे कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचाने या उसमें अनधिकृत पहुंच प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
ये साइबर क्राइम के कुछ मुख्य प्रकार हैं, लेकिन साइबर क्राइम का दायरा बहुत व्यापक है और इसमें कई अन्य प्रकार की आपराधिक गतिविधियां भी शामिल हैं.
6️⃣ साइबर धमकी -
साइबरबुलिंग या साइबर उत्पीड़न इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का उपयोग करके डराने-धमकाने या उत्पीड़न का एक रूप है। साइबरबुलिंग और साइबर उत्पीड़न को ऑनलाइन बुलिंग के रूप में भी जाना जाता है। यह विशेष रूप से किशोरों के बीच तेजी से सामान्य हो गया है, क्योंकि डिजिटल क्षेत्र का विस्तार होने से प्रौद्योगिकी उन्नत हुई है और आज के किशोर प्रोद्योगिकी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने के कारण साइबर क्राइम की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं.
आज आम जन जीवन को किसी आपदा की तरह नुकसान पहुँचाने वाला डिजिटल अरेस्ट साइबर क्राइम के प्रकार पहचान की चोरी का ही एक रूप है जिसमें साइबर ठग आपसे पुलिस अधिकारी, जज, ट्राई का अफसर आदि बनकर बात करता है.
🌑 डिजिटल अरेस्ट
एक प्रकार का साइबर अपराध है जिसमें धोखेबाज, खुद को कानूनी अधिकारी या सरकारी एजेंसी का प्रतिनिधि बताकर, लोगों को डराते हैं कि उन्होंने कोई अपराध किया है और फिर उनसे पैसे या जानकारी लेने की कोशिश करते हैं.
🌑 डिजिटल अरेस्ट स्कैम में, धोखेबाज आमतौर पर निम्नलिखित तरीके अपनाते हैं:
🌑 धोखेबाज खुद को कानूनी या सरकारी अधिकारी बताते हैं:
🌑 वे फर्जी आईडी या दस्तावेज दिखाते हैं, या फोन या ईमेल पर कानूनी भाषा का इस्तेमाल करते हैं.
🌑 वे गिरफ्तारी वारंट या जांच का दावा करते हैं:
🌑 वे पीड़ित को बताते हैं कि उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है या वे किसी अपराध की जांच के दायरे में हैं.
🌑 वे डर और दबाव बनाते हैं:
🌑 वे पीड़ित को जल्दी से कार्रवाई करने के लिए मजबूर करते हैं, और उन्हें बताते हैं कि यदि वे सहयोग नहीं करते हैं तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे.
🌑 वे भुगतान या जानकारी मांगते हैं:
🌑 वे पीड़ितों से पैसे या व्यक्तिगत जानकारी जैसे कि बैंक खाते की जानकारी, क्रेडिट कार्ड नंबर आदि देने के लिए कहते हैं.
➡️ 2024 तक सबसे ज्यादा जांच की जाने वाली साइबर क्राइम-
2024 में पीड़ितों द्वारा दर्ज की गई शिकायतों की संख्या के अनुसार शीर्ष तीन साइबर अपराध फ़िशिंग/स्पूफिंग, जबरन वसूली और व्यक्तिगत डेटा उल्लंघन थे।
➡️ भारत में तेजी से बढ़ता जा रहा डिजिटल हाउस अरेस्ट का आंकड़ा -
दैनिक भास्कर की एक साल पहले की रिपोर्ट के अनुसार -" रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट से पता चला है कि 2023 के दौरान देश में 30 हजार करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी हुई। हाउस अरेस्ट में नकली पुलिस स्टेशन, सरकारी कार्यालय स्थापित करने और ED जैसी वर्दी पहनने जैसे हथकंडे भी अपनाए जा रहे हैं। एक दशक में, भारतीय बैंकों ने धोखाधड़ी के 65,017 मामलों की सूचना दी है, जिसके कारण कुल 4.69 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। साइबर अपराधी बेखबर लोगों को धोखा देने के लिए UPI, क्रेडिट कार्ड, ओटीपी, जॉब और डिलीवरी स्कैम सहित कई तरह के तरीके अपनाते हैं।गिरफ्तारी का भी नाटक किया जाता है साइबर ठगी में अपराधी पीड़ित को गिरफ्तार करने का नाटक भी कर सकते हैं। वे नकली पुलिस स्टेशन या सरकारी कार्यालय स्थापित करने और सरकारी वर्दी पहनने जैसे तरीके भी अपनाते हैं। इसे डिजिटल गिरफ्तारी कहा जाता है।
डिजिटल गिरफ्तारी का सबसे पहला मामला उत्तर प्रदेश के नोएडा में दर्ज किया गया। यहां पिछले साल दिसंबर में एक व्यक्ति को मनगढ़ंत मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में फंसाया गया।अपराधियों ने पीड़ित के सामने खुद को सीबीआई के आईपीएस अधिकारी और बंद हो चुकी एयरलाइन के संस्थापक के रूप में पेश किया। इस ठगी से पीड़ित को 11 लाख रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ। साथ ही उसे एक दिन तक डिजिटल गिरफ्तारी द्वारा प्रताड़ित भी किया गया। "
➡️ साइबर क्राइम की सजा -भारत में साइबर अपराध के लिए दंड
🌑 सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत, साइबर अपराधों के लिए जुर्माने से लेकर कारावास तक की सज़ा हो सकती है। उदाहरण के लिए, हैकिंग के लिए तीन साल तक की जेल और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। ऑनलाइन धोखाधड़ी के लिए सात साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।
🌑 साइबर क्राइम पर पहली गलती पर सजा का प्रावधान -
साइबर क्राइम ऐसे अपराध हैं जो पहचान की चोरी, कंप्यूटर, इंटरनेट या किसी डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल करके किए जाते हैं। देश में साईबर अपराधों को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं। आईटी अधिनियम के अंतर्गत, अगर कोई व्यक्ति साईबर अपराध करता है, तो उसकी गंभीरता के अनुसार उसे दो साल की सजा से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा दी जा सकती है।
साइबर क्राइम के ये आंकड़े दिन प्रतिदिन तेजी से बढ़ रहे हैं, साइबर अपराधी आपकी पकड़ से बाहर हैं किन्तु आपके घर के अंदर है, आपके फोन में, कम्प्यूटर में, ई मेल में, व्हाट्सप्प में, उसे कैसे पकड़ना है और कैसे साइबर अपराधियों से खुद को बचाना है, सब बताएँगे, बस आप ब्लॉग से जुड़िये और अपनी समस्या कमेंट में शेयर कीजिये, जल्दी 🙏🙏
द्वारा
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली )
क्या ये ठग वास्तव में चेहरा ढक कर रखते हैं कृपया बताने का कष्ट करें, आपकी पोस्ट हमारा ज्ञान वर्धन कर रही हैं धन्यवाद 🙏🙏
जवाब देंहटाएंये आपके आसपास ही होते हैं और क्योंकि आप इन्हें नहीं जानते इसलिए इनके चेहरे ढ़के हुए ही दिखाए जाते हैं. टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद 🙏🙏
हटाएं