साइबर क्राइम का भयानक रूप डिजिटल अरेस्ट



आज पूरा विश्व साइबर अपराध की जकड़ में है. साइबर अपराधियों ने न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को गहरा धक्का पहुँचाया है बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ साथ पूरे यूरोप और एशिया को हिलाकर रख दिया है. आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स ( AI ) से जुटाई गई जानकारी के अनुसार -

"साइबर अपराध का आधुनिक इतिहास तब शुरू हुआ जब एलन शेर ने एमआईटी कंप्यूटर नेटवर्क के खिलाफ साइबर हमला किया, पंच कार्ड के माध्यम से उनके डेटाबेस से पासवर्ड चुराए । पहला कंप्यूटर वायरस बीबीएन टेक्नोलॉजीज में बॉब थॉमस द्वारा अनुसंधान उद्देश्यों के लिए बनाया गया था।"

साइबर अपराध कंप्यूटर, इंटरनेट या नेटवर्क उपकरणों से जुड़ी अवैध गतिविधि होती है। साइबर अपराधी पहचान की चोरी करते हैं, फ़िशिंग घोटाले शुरू करते हैं, मैलवेयर फैलाते हैं और अन्य डिजिटल हमले करते हैं।

➡️ भारत में साइबर अपराध:-

 भारत में साइबर अपराधों के आंकड़े चिंता का विषय हैं। 2022 में, 65,000 से अधिक साइबर अपराध मामले दर्ज किए गए थे, और 2023 में यह संख्या और बढ़ गई। वित्तीय नुकसान भी तेजी से बढ़ा है, जिसमें 2022 में 91.14 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 1,935.51 करोड़ रुपये तक पहुँच गया था.

NCRB data और I4C दोनों के अनुसार, साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। 2022 में 65,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए, जिनमें से केवल 1.7% मामलों में ही सजा हुई। वित्तीय नुकसान के मामलों में 2022 में, साइबर अपराध के कारण 91.14 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ, जो 2024 में बढ़कर 1,935.51 करोड़ रुपये हो गया। 

भारत में सबसे अधिक तेलंगाना में 2022 में सबसे अधिक साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए, जिसके बाद कर्नाटक और उत्तर प्रदेश का स्थान रहा। वित्तीय धोखाधड़ी भारत में साइबर अपराध का सबसे आम रूप कहा जा सकता है। 2021 में, 78% भारतीय संगठनों ने रैनसमवेयर हमले का अनुभव किया, जिनमें से 80% हमलों के परिणामस्वरूप डेटा का एन्क्रिप्शन हुआ। 2019 से 2024 तक, I4C इंडिया को साइबर अपराध के 740,000 से अधिक मामले रिपोर्ट किए गए।

भारत में साइबर अपराध, एक बढ़ती हुई चिंता है, जिसमें कंप्यूटर और इंटरनेट से जुड़ी कई तरह की अवैध गतिविधियाँ शामिल हैं। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) साइबर अपराध से निपटने के लिए सरकार का नोडल बिंदु है, जो रोकथाम, पता लगाने और अभियोजन पर ध्यान केंद्रित करता है। 

➡️ भारत में साइबर अपराध के प्रकार:-

1️⃣ वित्तीय धोखाधड़ी: 

   इसमें ऑनलाइन घोटाले, फ़िशिंग हमले (जानकारी चुराने के लिए वैध स्रोतों का प्रतिरूपण) और क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी शामिल हैं।

2️⃣ साइबरबुलिंग:-

 दूसरों को परेशान करने या डराने के लिए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करना। 

3️⃣ साइबरस्टॉकिंग:- 

लगातार ऑनलाइन उत्पीड़न या पीछा करना। 

4️⃣ हैकिंग:-

  कंप्यूटर सिस्टम या नेटवर्क तक अनधिकृत पहुँच। 

5️⃣ डेटा उल्लंघन:-

    संवेदनशील डेटा तक अनधिकृत पहुँच। 

6️⃣ बौद्धिक संपदा उल्लंघन:-

    कॉपीराइट सामग्री की अवैध नकल, वितरण या उपयोग। 

7️⃣ ऑनलाइन ड्रग तस्करी:-

     अवैध दवाओं की बिक्री और खरीद को सुविधाजनक बनाने के लिए इंटरनेट का उपयोग करना।

8️⃣ साइबर आतंकवाद:-

 भारत की सुरक्षा या अखंडता को खतरे में डालने के लिए साइबर साधनों का उपयोग करना। 

9️⃣ बाल पोर्नोग्राफ़ी:-

 बाल पोर्नोग्राफ़ी बनाना, वितरित करना या रखना।

 1️⃣0️⃣ सॉफ्टवेयर चोरी:-

 सॉफ़्टवेयर की अनधिकृत नकल, वितरण या उपयोग।

1️⃣1️⃣ डिजिटल अरेस्ट:-

     डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध का आज सर्वाधिक परेशान करने वाला स्वरुप है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की साइबर विंग के अनुसार डिजिटल अरेस्ट के जरिये अपराधी आम नागरिकों को बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैँ. साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट कर हर रोज आम नागरिकों से छह करोड़ रूपये लूट रहे हैँ. पिछले वर्ष अक्टूबर तक डिजिटल अरेस्ट के कुल 92 हजार 334 मामले सामने आये हैँ जिनमें 2 हज़ार 140 करोड़ रूपये से अधिक की धोखाधड़ी की खबरें जानकारी मे आ रही है.

      ऐसे मे, अगर हम औसत निकालते हैँ तो प्रति माह 214 करोड़ रूपये की साइबर ठगी डिजिटल अरेस्ट के जरिये करने मे साइबर ठग सफल हो रहे हैँ जबकि यह अनुमान के आधार पर एक बेहद छोटा सा आंकड़ा है. असली घटनाएं इससे बहुत ज्यादा है. बहुत सी घटनाये तो भारतीयों की डर और बदनामी से बचने की मनोवृति के कारण सामने ही नहीं आ रही है.

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धन्यवाद 🙏🙏

द्वारा 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली )


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