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गूगल पर नजर आ रहे फर्जी कस्टमर केयर नंबर की पहचान -3

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आपको इस तथ्य को समझना होगा कि जो असली आधिकारिक कस्टमर केयर एजेंट होता है वह कभी भी आपसे आपकी सेंसिटिव जानकारी नहीं मांगता हैं। हमारे साइबर सिक्योरिटी एडवाइजर, उत्तर प्रदेश पुलिस श्री राहुल मिश्रा जी कहते हैँ कि इस फैक्ट को विस्तार से समझने के लिए आप उपरोक्त ग्राफिक को देखिये, अगर कोई व्यक्ति आपसे ऊपर दिए गए ग्राफिक में दी गई जानकारियां मांगता है तो समझ लें कि वह फ्रॉड कॉल है- ➡️ फेक कस्टमर केयर की 5 मुख्य पहचान- ✒️ अगर UPI पिन, OTP या पासवर्ड मांगे। ✒️ अगर बिना जांच के तुरंत समाधान दे। ✒️ अगर दबाव डालकर जल्दी फैसला करवाए। ✒️ अगर स्क्रीन शेयरिंग एप डाउनलोड करने को कहे। ✒️ अगर गूगल फॉर्म में पर्सनल डिटेल भरने को कहे।  हम लगातार आपके लिए गूगल सर्च के साइबर खतरे लेकर आ रहे हैँ और अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारियों से कोई भी फायदा नजर आता है तो हमारे उत्साहवर्धन हेतु हमारे ब्लॉग को फॉलो और चैनल को सब्सक्राइब कीजिये, पोस्ट को लाइक कीजिये और अपना अनुभव शेयर कीजिये ताकि अन्य लोग भी आपके अनुभव से लाभान्वित हों और साइबर अपराध के घेरे में न आएं. सतर्क रहिये-सुरक्षित रहेंगे. धन्यवाद 🙏 आभा...

डिजिटल अरेस्ट -सम्पूर्ण जानकारी

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डिजिटल अरेस्ट एक साइबर घोटाला है जिसमें अपराधी खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताकर लोगों को वीडियो कॉल या ऑडियो कॉल से डराते हैं और झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देते हैं. वे पीड़ित को पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करते हैं, और यह भारत के कानून में मौजूद नहीं है. इस तरह के स्कैम से बचने के लिए, किसी भी अज्ञात कॉल या वीडियो कॉल पर भरोसा न करें, निजी जानकारी न दें, और तुरंत पुलिस को रिपोर्ट करें.  ➡️ 4 जनवरी 2025 को अपनी एक रिपोर्ट में अमर उजाला दैनिक कहता है कि  " यह एक नए तरह का स्कैम है, हालांकि इसे पूरी तरह से नया नहीं ही कहा जाएगा, क्योंकि पिछले एक साल से लोग इसके शिकार हो रहे हैं, लेकिन जिन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, उनके लिए तो यह नया ही है। डिजिटल अरेस्ट दो शब्दों से मिलकर बना है, डिजिटल मतलब वर्चुअल तौर पर और अरेस्ट मतलब गिरफ्तार, यदि आपको वर्चुअल तौर पर गिरफ्तार किया जाता है तो उसे डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है। डिजिटल अरेस्ट में लोग अपने ही घरों में कैद हो जाते हैं और कोई वीडियो कॉल के जरिए उनपर नजर बनाए रखता है।"  ➡️ एन डी टी वी इंडिया की 26 दिसम्बर ...

गूगल पर कस्टमर केयर नम्बर सर्च का साइबर अपराध में योगदान -2

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  गूगल पर कस्टमर केयर नम्बर सर्च करने पर साइबर अपराधी किस तरह आपको ठगते हैँ इस सम्बन्ध में हमारे साइबर विशेषज्ञ राजेश दंडोतिया, एडिशनल डीसीपी, क्राइम ब्रांच, इंदौर और राहुल मिश्रा, साइबर सिक्योरिटी एडवाइजर, उत्तर प्रदेश पुलिस बताते हैँ कि ➡️ गूगल पर कस्टमर केयर नंबर सर्च करने पर क्या होता है- 🌑 गूगल उन कस्टमर केयर नंबर को ऊपर दिखाता है, जो उसकी एल्गोरिदम, SEO (सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन) और एडवर्टाइजमेंट के आधार पर रैंक होते हैं। इसमें सही और आधिकारिक कस्टमर केयर नंबर भी हो सकते हैं, लेकिन साइबर अपराधी नकली वेबसाइट और पेड एडवर्टाइजमेंट के जरिए फर्जी नंबर टॉप पर दिखा सकते हैं। ➡️ ऐसा कर साइबर अपराधी या स्कैमर्स आप लोगों को ठगते हैँ 🌑 क्योंकि जब कोई यूजर किसी शिकायत या सर्विस से जुड़ी जानकारी के लिए गूगल पर दिए कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करता है तो साइबर क्रिमिनल अलग-अलग तरीकों से उसे ठगने की कोशिश करते हैं। आप इस जानकारी को इन उदाहरणों से सरलता से समझ सकते हैं- ✒️ फर्जी कस्टमर केयर प्रतिनिधि संपर्क करने पर नकली वेबसाइट या एप का लिंक भेजते हैं, जो असली कंपनी की तरह दिखते हैं। इन पर लॉगिन...

कस्टमर केयर नम्बर-गूगल सर्च फंस सकते हैँ साइबर फ़्रॉड में -1

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          गूगल आज एक ऐसे सर्च इंजन के रूप में अपनी जगह बना चुका है कि हम हर जानकारी को प्राप्त करने के लिए गूगल का इस्तेमाल करते हैँ और हमारी यही कमजोरी आज साइबर अपराधियों की नजर में है और इस कमजोरी का इस्तेमाल कर वे बहुत से लोगों के बैंक खाते खाली भी कर चुके हैँ. अब इसी कड़ी में एक सर्च जो हम गूगल ब्राउज़र मे करते नजर आते हैँ, वह है कस्टमर केयर नंबर की खोज, जिसके बारे में साइबर विशेषज्ञ और एडिशनल डीसीपी, क्राइम ब्रांच, इंदौर राजेश दंडोतियाबताते हैँ कि " गूगल सिर्फ एक सर्च इंजन है। यह सही-गलत जानकारी की जांच करने वाला प्लेटफॉर्म नहीं है। इसलिए गूगल पर दिखने वाला हर नंबर या जानकारी सही हो, ये जरूरी नहीं है। कस्टमर केयर नंबर हमेशा ऑफिशियल वेबसाइट या एप से ही लें।"      इसलिए ध्यान रखें और कस्टमर केयर नम्बर ऑफिशियल वेबसाइट या एप्प पर ही सर्च करें. सतर्क रहिये-तभी सुरक्षित रहेंगे. धन्यवाद 🙏👇 दैनिक भास्कर 30 अगस्त 2025  द्वारा शालिनी कौशिक एडवोकेट कैराना (शामली)

स्थानीय पुलिस स्टेशन भी साइबर अपराधों की जाँच कर सकते हैं -उड़ीसा हाईकोर्ट

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  उड़ीसा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि - "अपराध जांच विभाग, अपराध शाखा (साइबर अपराध) ('सीआईडी-सीबी') साइबर/आईटी से संबंधित अपराधों की जांच करने के लिए अधिकृत एकमात्र जांच निकाय नहीं है, बल्कि स्थानीय पुलिस स्टेशन भी ऐसे अपराधों की जांच कर सकते हैं, बशर्ते कि जांच अधिकारी (आईओ) 'इंस्पेक्टर' के पद से नीचे का न हो।" ➡️ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 ('आईटी अधिनियम') की धारा 78 के अनुसार  " निरीक्षक के पद से नीचे का कोई पुलिस अधिकारी अधिनियम के तहत किसी भी अपराध की जांच नहीं करेगा,"       इस के साथ-साथ कई सरकारी अधिसूचनाओं के बीच परस्पर क्रिया की व्याख्या करते हुए, न्यायमूर्ति चित्तरंजन दास की एकल पीठ ने कहा - " वैधानिक योजना, 2004, 2017 और 2021 की सरकारी अधिसूचनाएं, और सीआईडी, सीबी साइबर पुलिस स्टेशन के स्पष्टीकरण, सभी एक सामंजस्यपूर्ण व्याख्या की ओर इशारा करते हैं कि सीआईडी ​​साइबर पुलिस स्टेशन राज्य भर में समवर्ती क्षेत्राधिकार रखता है, लेकिन निरीक्षकों के नेतृत्व वाले स्थानीय पुलिस स्टेशनों को साइबर अपराधों की ज...

KYC और Ghost Sim आपके इर्द गिर्द ही है

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   खबर आ रही है कि उत्तर प्रदेश के छह जिलों में नौ सिम कार्ड डीलर्स साइबर फ़्रॉड के लिए सीबीआई द्वारा नामजद किये गए हैँ.    प्राप्त जानकारी के अनुसार सिम कार्ड डीलरों द्वारा सिम खरीदने वाले ग्राहक का केवाईसी कराने के दौरान उस पहचान सत्यापन का इस्तेमाल दूसरे सिम की बिक्री में भी कर रहे थे। जिसमें वे पहली बार केवाईसी प्रक्रिया को फेल बताते थे, फिर दोबारा बार यह प्रक्रिया करते थे, जिसमें उसी नाम पते पर दूसरा सिम जिसे घोस्ट सिम कहा जाता है, एक्टिवेट कर दिया जाता था। जिसका ग्राहक को आभास तक नहीं होता है. ➡️ केवाईसी (KYC) का मतलब -     "अपने ग्राहक को जानें" (Know Your Customer) होता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें वित्तीय संस्थान ग्राहकों की पहचान और पता सत्यापित करते हैं. यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि ग्राहक द्वारा दी गई जानकारी सटीक और वास्तविक है.  🌑 केवाईसी का पूरा नाम "Know Your Customer" है, जो वित्तीय संस्थानों और व्यवसायों द्वारा ग्राहकों की पहचान सत्यापित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक प्रक्रिया है. यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने में...

साइबर क्राइम =महत्वपूर्ण जानकारी

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 ➡️ साइबर अपराध क्या है?  साइबर अपराध ऐसे अपराध होते हैं जो कंप्यूटर, इंटरनेट या मोबाइल टेक्नोलॉजी का उपयोग करके व्यक्तियों, कंपनियों या संस्थाओं को लक्ष्य बनाते हैं। आप सोशल नेटवर्किंग साइट्स, ईमेल, फेक वेबसाइट्स, इत्यादि के माध्यम से साइबर अपराधियों का शिकार हो सकते हैं। ➡️ पहला साइबर अपराध - पहला साइबर अपराध 1992 में हुआ था जब पहला पॉलीमॉर्फिक वायरस जारी किया गया था। साइबर अपराध के सबसे प्रमुख या पहले मामलों में से एक याहू बनाम आकाश अरोड़ा था। (1999)। इस मामले में, प्रतिवादी आकाश अरोड़ा पर 'yahooindia.com' ट्रेडमार्क या डोमेन नाम का उपयोग करने का आरोप लगाया गया था। ➡️ साइबर सुरक्षा का जनक - साइबर सुरक्षा का जनक बॉब थॉमस को माना जाता है, जिन्होंने 1971 में पहला कंप्यूटर वायरस, क्रीपर, बनाया था. यह वायरस दुर्भावनापूर्ण नहीं था बल्कि कंप्यूटर नेटवर्क की कमजोरियों को उजागर करने के लिए बनाया गया था और इसने साइबर सुरक्षा की आवश्यकता को रेखांकित किया.  🌑 बॉब थॉमस के योगदान: ✒️ उन्होंने 1971 में क्रीपर प्रोग्राम बनाया, जो पहला ज्ञात कंप्यूटर वायरस था.  ✒️ क्रीपर ने यह सा...

क्या आपके पास भी आई है 1 रूपये क़ी डिमांड

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 क्या आपके पास भी आई है 1 रूपये की कॉल, यदि हाँ तो अंजाम आपने या तो भुगत लिया होगा या फिर किसी चतुराई से बच गए होंगे और अगर नहीं आई है तो अलर्ट हो जाइये. ये एक नया तरीका है साइबर ठगों द्वारा लोगों को ठगने का, जिसमें वे सिर्फ 1 रुपए का लेन-देन करके लोगों के बैंक खाते की जानकारी हासिल कर लेते हैं और आपके द्वारा 1 रूपये का लेन देन करते ही साइबर ठग आपका पूरा खाता खाली कर देते हैं। साइबर अपराध रोज तरक्की के नए आयाम गढ़ रहे हैँ साइबर अपराधी आपके बैंक खातों में जमा धन को हड़पने के लिए दिमाग़ का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैँ । अब वे आपसे ओटीपी नहीं मांग रहे हैँ क्योंकि ओटीपी को लेकर पुलिस प्रशासन द्वारा जनता को बहुत सतर्क किया जा चुका है इसलिए बेवकूफ बनाना जरा मुश्किल हो रहा है जनता को, अब साइबर ठग आपसे सिर्फ एक रुपये भेजने की बात कहकर पूरा खाता साफ कर दे रहे हैं और इस नए पैतरैं में फंसकर कई लोग जीवनभर की कमाई गंवा चुके हैं। ➡️ आपसे करते हैं एक रूपये की डिमांड- ✒️ साइबर विशेषज्ञ और सीओ रामनगर सुमित पांडे के अनुसार - "ठग काफी प्रशिक्षित होते हैं। वे सबसे पहले लोगों को झांसे में लेने के लिए बीमा...

FRAUD CALL आ सकती है

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  ( क्या पता आने वाली कॉल फ़्रॉड हो )  आपके पास फोन है, होगा ही, क्योंकि आजकल फोन रोटी कपड़ा और मकान की तरह एक अनिवार्य आवश्यकता बन चुकी है, तो फिर सावधान हो जाइये क्योंकि फ़्रॉड कॉल या फिर ये कहें कि साइबर ठगों की धोखाधड़ी की कॉल आपके पास भी आ सकती है. ➡️ फ्रॉड कॉल  की पहचान के लिए, अनजान नंबरों से कॉल को सावधानी से उठाएं और किसी भी संवेदनशील जानकारी को साझा करने से बचें। कॉल में आपको तत्काल कार्रवाई करने या धमकी देने की बात कही जा सकती है, यह फ्रॉड हो सकता है। कॉलर से सवाल पूछें और उनकी बातों में गलतियां देखें।  ➡️  फ्रॉड कॉल की पहचान के लिए महत्वपूर्ण बातें: 🌑 अनजान नंबरों से कॉल: अनजान नंबर से कॉल आने पर सावधान रहें।  🌑 संदिग्ध संदेश: यदि कॉल में आपको कोई लिंक या संवेदनशील जानकारी साझा करने के लिए कहा जाए, तो सावधान रहें।  🌑 धमकी या जल्दबाजी: यदि कॉल में आपको कोई धमकी दी जाए या जल्द कार्रवाई करने के लिए कहा जाए, तो सावधान रहें।  🌑 कंपनी की जानकारी: कॉल में कंपनी या सरकारी एजेंसी की जानकारी के बारे में संदेह होने पर उनकी आधिकारिक वेबसाइट से स...

आइरिस स्कैन कर साइबर ठगी

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( आइरिस स्कैन कर साइबर ठगी   ) साइबर ठगी का एक नया तरीका इज़ाद कर साइबर ठगों ने साइबर ठगी को अंजाम दिया है. साइबर ठग अब ठगी करने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं। पहले साइबर ठग फिंगरप्रिंट के जरिये ठगी करते थे और अब ताजा घटनाक्रम में आइरिस स्कैन (आंख की पुतली का स्कैन) कर एक महिला के बैंक खाते से किसान निधि के 10 हजार रुपये उड़ा लिए । रमकंडा में साइबर ठगों ने एक महिला के खाते से आइरिस स्कैन कर 10 हजार रुपये उड़ा लिए। पीएम किसान योजना के नाम पर महिला से आधार कार्ड लेकर उसकी आंख स्कैन की गई।    गढ़वा जिले के रमकंडा प्रखंड के बिराजपुर गांव में ठगी के सनसनीखेज मामले में गांव के स्वर्गीय जगनारायण सिंह की पत्नी कालो देवी को पीएम किसान योजना का लाभ दिलाने के बहाने एक अनजान युवक गांव पहुंचा और उससे आधार कार्ड मांगा और इसी घटनाक्रम में वह अज्ञात ठगों का शिकार हो गई।  महिला के अनुसार, उसने अनजान युवक द्वारा पी एम किसान योजना का लाभ दिलाने के नाम पर जब उससे आधार कार्ड माँगा तो महिला ने उसे अपना आधार कार्ड दे दिया, फिर उस अनजान युवक ने महिला को खड़ा कर उसकी आंख की पुतली का फोटो ल...